1
2122 2122 212जो भी कहना था उन्हें वह कह गए
हम सियासत में उलझ कर रह गए
'वोट' वो आँसू बहा कर माँगते
भावनाओं में हम आकर बह गए ।
2
221 2121 1221 212
ग़ैरों से तेरे हाल की मिलती रही खबर
हर रोज देखता रहा तेरी ही रहगुजर
वैसे तमाम उम्र तेरा मुंतजिर रहा
ऐ जान! क्यों न भूल से आई कभी इधर?
3
122 122 122 122
कटी उम्र, उनको बुलाते बुलाते
जमाना लगेगा उन्हे आते आते
सफर जिंदगी में वो गाहे ब गाहे
हमे बेसबब क्यों रहे आजमाते
4
122 122 122 122
इशारों से गर तुम न हमको बुलाते
गुनह जाने हमको कहाँ ले के जाते
अगर दिल मे होता उजाला न तुमसे
सही या ग़लत क्या है, क्या हम बताते
-आनन्द पाठक -
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