मंगलवार, 10 सितंबर 2024

कविता 24 : सतवाँ जनम यही है--[हास्य]

कविता 24 :सतवाँ जनम यही है [ हास्य]


पत्नी बोली
'सुनते हैं जी !
कल शाम मंदिर में मैंने
क्या माँगा था ?
सात जनम तक पति रुप में
तुम को पाऊ
चरणों की सेवा कर
जीवन सफल बनाऊँ" ।
मैंने बोला " भाग्यवान !
एक बात तो तुम ने कही सही है।
छह जनम तो बीत चुका है
सतवाँ जनम यही है ।

-आनन्द.पाठक-

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