कविता 24 :सतवाँ जनम यही है [ हास्य]
'सुनते हैं जी !
कल शाम मंदिर में मैंने
क्या माँगा था ?
सात जनम तक पति रुप में
तुम को पाऊ
चरणों की सेवा कर
जीवन सफल बनाऊँ" ।
मैंने बोला " भाग्यवान !
एक बात तो तुम ने कही सही है।
छह जनम तो बीत चुका है
सतवाँ जनम यही है ।
-आनन्द.पाठक-
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