शुक्रवार, 13 जनवरी 2023

अनुभूतियाँ : क़िस्त101

 

401

सोने के मृग कब होते हैं

जान रही है दुनिया सारी

लिखा हुआ है वो होना है

भाग्य-लेख कब जाए टारी

402

दुखती रग पर उँगली रख दी

तुमने जाने या अनजाने

ज़ख़्म हमारे हरे हो गए

दर्द लगे हैं फिर से गाने ।

 

403

कब काटी है बात तुम्हारी

तुमने कहा सुना है मैने

तुनक-मिजाज़ी से वाकिफ़ था

फिर भी तुमको चुना है मैने॥

 

404

मन मुझसे कहता रहता है

प्रेम विधा है, एक समर्पन

सभी समाहित होते इसमे

श्रद्धा भक्ति पूजन-अर्चन ।


 

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