297
जीवन क्या है? समझ न पाया
लेकिन लाख शिकायत उससे,
सफ़र अकेला कैसे कटता
अगर न होती उलफ़त उससे ।
298
बात ’अहम वाली’ करते हो
कभी निकल कर बाहर आओ,
फिर देखो कैसी है दुनिया
सब की नज़रों में छा जाओ ।
299
व्यर्थ बहस क्या करना तुम से
किसने किसको छोड़ा पहले,
बात वहीं फिर लौट के आती
किसने दिल को तोड़ा पहले ।
300
बात नहीं मानोगी मेरी
वही पुरानी जिद ’अड़ जाना’,
छोटी- मोटी बातों पर भी
बिना बात मुझ से लड़ जाना ।
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