सोमवार, 9 जनवरी 2023

अनुभूतियाँ : क़िस्त 75

 

297

जीवन क्या है? समझ न पाया

लेकिन लाख शिकायत उससे,

सफ़र अकेला कैसे कटता

अगर न होती उलफ़त उससे ।

 

298

बात ’अहम वाली’ करते हो

कभी निकल कर बाहर आओ,

फिर देखो कैसी है दुनिया

सब की नज़रों में छा जाओ ।

 

299

व्यर्थ बहस क्या करना तुम से

किसने किसको छोड़ा पहले,
बात वहीं फिर लौट के आती
किसने दिल को तोड़ा पहले ।

 

300

बात नहीं मानोगी मेरी

वही पुरानी जिद ’अड़ जाना’,

छोटी- मोटी बातों पर भी

बिना बात मुझ से लड़ जाना ।


 

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