शनिवार, 7 जनवरी 2023

अनुभूतियाँ : क़िस्त51

 

201

वचन दिया है, वचन रखेंगे

नहीं खुलेगी, ज़ुबाँ हमारी,

तुम भी अपना क़ौल निभाना

बात छुपा कर रख्नना सारी ।

 

202

दुनिया वाले मुँह में हरदम

अपनी अपनी बात रखेंगे,

कह देना तुम सबको खुल कर

“ जो सच है हम वही कहेंगे ।

 

 

203

सूरज के ढलने ढलने तक

लम्बा सफ़र अभी है बाक़ी,

कट जायेंगी राहें मुशकिल

साथ अगर तुम भी आ जाती ।

 

204

माथे पर चिन्तन रेखाएँ

बोल रहा दिल दरपन मेरा,

वक़्त भला कब लौटा पाया

बीत गया जो बचपन मेरा


 

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