201
वचन दिया है, वचन रखेंगे
नहीं खुलेगी, ज़ुबाँ हमारी,
तुम भी अपना क़ौल निभाना
बात छुपा कर रख्नना सारी ।
202
दुनिया वाले मुँह में हरदम
अपनी अपनी बात रखेंगे,
कह देना तुम सबको खुल कर
“ जो सच है हम वही कहेंगे ।“
203
सूरज के ढलने ढलने तक
लम्बा सफ़र अभी है बाक़ी,
कट जायेंगी राहें मुशकिल
साथ अगर तुम भी आ जाती ।
204
माथे पर चिन्तन रेखाएँ
बोल रहा दिल दरपन मेरा,
वक़्त भला कब लौटा पाया
बीत गया जो बचपन मेरा ।
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