शुक्रवार, 6 जनवरी 2023

अनुभूतियाँ : क़िस्त 046

 अनुभूतियाँ 046 ओके

181

सुनी सुनाई बात नहीं है

जो देखा सो मैने बोला

वक़्त गवाही देगा मेरी

ज़हर हवा में किसने घोला।

 

182

एक ज़माना वो भी था जब

सीने से लिपटी रहती थी ,

बिजली के गर्जन से डर कर

बाँहों में सिमटी रहती थी ।

 

183

वक़्त सिखा देता है सबको

और भले कोई न सिखाए

अपने अन्दर झाँकोगी जब

जीवन क्या है? समझ में आए

 

184

वक़्त बड़ा जालिम होता है

राजा तक को रंक बना दे,

दुर्ग महल चौबारे सारे ,

ख़ाक में जाने कब ये मिला दे ।

 

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