रविवार, 8 जनवरी 2023

अनुभूतिया: क़िस्त 64

 253

वादा करना शौक़ तुम्हारा

राह देखता रहता है दिल,

झूठे वादे क्यॊ करती हो ?

जब कि निभाना होता मुश्किल ।

 

254

पल दो पल का मिलना क्या था

जीवन भर का दर्द मिला है,

बेहतर होता ना ही मिलते

जब मिलने का यही सिला है ।

 

255

साथ छोड़ कर यूँ जाने की

इतनी थी क्या जल्दी जानम !

जीवन भर की बात हुई थी

साथ निभाने का था हरदम !

 

256

मेरे प्रश्नों का उत्तर तुम

कब देती हो मन से खुलकर,

’हाँ, में ’ना” में या चुप हो कर

शब्द प्रकम्पित अधर पटल पर ।


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