253
वादा करना शौक़ तुम्हारा
राह देखता रहता है दिल,
झूठे वादे क्यॊ करती हो ?
जब कि निभाना होता मुश्किल ।
254
पल दो पल का मिलना क्या था
जीवन भर का दर्द मिला है,
बेहतर होता ना ही मिलते
जब मिलने का यही सिला है ।
255
साथ छोड़ कर यूँ जाने की
इतनी थी क्या जल्दी जानम !
जीवन भर की बात हुई थी
साथ निभाने का था हरदम !
256
मेरे प्रश्नों का उत्तर तुम
कब देती हो मन से खुलकर,
’हाँ, में ’ना” में या चुप हो कर
शब्द प्रकम्पित अधर पटल पर ।
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