173
तोड़ दिया जब तुमने बन्धन
क्या कहता है कोई, छोड़ो,
छोड़ो भूली बिसरी बातें-
नया किसी से नाता जोड़ो ।
174
पढ़ लो मेरी आँखों में तुम
वही पुरानी एक शिकायत
बस मुझ पर ही
सितमगरी है
ग़ैरों पर तो खूब इनायत।
175
यह भी कोई बात हुई क्या
मैं कुछ पूछूँ तुम ना बोलो
पहलू में आकरभी बैठॊ
हृदय पटल भी ना तुम खोलो ।
176
पेड़ हरा था, सूख गया अब
पात पात झड़ गए डाल के,
तुमने सोचा, अच्छा सोचा
क्या करना मुझको सँभाल के ।
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