बुधवार, 11 जनवरी 2023

अनुभूतियाँ : क़िस्त 89

 

353

कौन बुझा पाया है अब तक

प्रेम अगन जो लगी हो तन में,

अन्तिम साँसों तक जलती है

सच्ची लगन अगर हो मन में।

 

354

 

जीवन के हर एक मोड़ पर

कई अजनबी चेहरे उभरे

साथ चले कुछ छोड़ गए कुछ

पल दो पल के ख़्वाब सुनहरे

 

 

355

मेरी नहीं तो अपने दिल की

कभी कभी तो बातें सुन लो,

सत्य-झूठ की राहें सम्मुख

जो चाहे तुम राहें चुन लो |

 

356

सत्ता उसकी नूर उसी का

जड़-चेतन में वही समाया,

 प्राणी अपने मद में खोया

सीधी बात समझ ना पाया


 

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