शनिवार, 7 जनवरी 2023

अनुभूतियाँ : क़िस्त 56

 

221

आशा की बस एक किरन भी

काफी होती अन्धकार में,

हिम्मत भी आ जाती है फिर

बैठी रहती इन्तज़ार में ।

 

222

ख़बर सुनी जो इधर उधर से

वही मुझे तुम सुना रही हो

मेरी आँखों से पढ़ लेती-

ग़लत-सलत सब बता रही हो

 

223

इसी हवा से बुझते दीपक

इसी हवा से फैले ख़ुशबू,

प्यार की बातें करने वाले

नफ़रत वाली करें गुफ़्तगू ।

 

224

क़दम क़दम पर दुनिया वाले

अटकाते रहते हैं रोड़े,

इस से तो हैं तारे बेहतर

तारीक़ी में साथ न छोड़े ।


 

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