शनिवार, 7 जनवरी 2023

अनुभूतियाँ: क़िस्त55

 

217

तुमसे पहले भी दुनिया थी

बाद तुम्हारे भी यह होगी

इक दिन सबको जाना होगा

चाहे भोगी हो या जोगी

 

218

नया सफ़र हो तुम्हे मुबारक

साथी तुमको मिला नया है ,

जितना साथ रही तुम, काफी

आभारी हूँ, शिकवा क्या है !

219

सौ बातों की एक बात है

बीत गई जो अब जाने दो,

नई हवाएँ चन्दन वन से

आती हैं तो अब आने दो ।

 

220

तेरा ख़ुद का चेहरा था वह

देखा जो तूने दरपन में ,

चौंक गई क्यों? ख़ौफ़जदा क्यों?

अक्स वही था जो था मन में ।    


 

कोई टिप्पणी नहीं: