रविवार, 29 जनवरी 2023

अनुभूतियाँ 121/08

 

क़िस्त 121/क़िस्त 8

 

481

बातों में जब गहराई हो

सब सुनते हैं सब गुनते हैं

हवा-हवाई बातॊ से भी-

कुछ हैं जो सपने बुनते हैं

 

482

साथ किसी का ठुकरा देना

अभी तुम्हारी आदत होगी

जीवन के एकाकी पथ पर

मेरी तुम्हें ज़रूरत होगी

 

483

साथ तुम्हारे होने भर से

हर मौसम बासंती मौसम

कट जाता यह सफ़र हमारा

साथ अगर तुम होते हमदम

 

484

किया  भरोसा मैने तुम पर

और तुम्हारी राहबरी का

कमरे में जयकार किसी का

बाहर नारा और किसी का

 

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