281
दर्द बाँटने से, सुनते हैं
मन कुछ हल्का हो जाता है,
जख़्म भले जितना गहरा हो
भर कर अच्छा हो जाता है ।
282
बात कौन सी ऐसी है जो
दुनिया से तुम छुपा रही हो,
आँखें सब कुछ कह देती हैं
याद किसी की भुला रही हो।
283
तूफ़ाँ में थी कश्ती मेरी
क्या क्या गुज़री थी इस दिल पर,
तुम भी हँसी थी दुनिया के संग
उधर खड़ी थी जब साहिल पर।
284
सबका अपना होता है दिन
सबकी अपनी काली रातें,
प्यार वफ़ा सब क़स्में वादे
कहने की सब होती बातें ।
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