सोमवार, 9 जनवरी 2023

अनुभूतियाँ ; क़िस्त71

 

281

दर्द बाँटने से, सुनते हैं

मन कुछ हल्का हो जाता है,

जख़्म भले जितना गहरा हो

भर कर अच्छा हो जाता है ।

 

282

बात कौन सी ऐसी है जो

दुनिया से तुम छुपा रही हो,

आँखें सब कुछ कह देती हैं

याद किसी की भुला रही हो।

 

283

तूफ़ाँ में थी कश्ती मेरी

क्या क्या गुज़री थी इस दिल पर,

तुम भी हँसी थी दुनिया के संग

उधर खड़ी थी जब साहिल पर।

 

284

सबका अपना होता है दिन

सबकी अपनी काली रातें,

प्यार वफ़ा सब क़स्में वादे

कहने की सब होती बातें ।


 

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