बुधवार, 11 जनवरी 2023

अनुभूतियाँ : क़िस्त85

 

337

हँस कर जीना एक कला है
रो-रो कर यह जीना क्यों है,
छोटी छोटी बातों पर यूँ
घूँट खून का पीना क्यों है ।

 

338

बन्द खिड़कियाँ खोलो मन की

आने दो कुछ नई हवाएँ,

बन्द अँधेरे कमरों में हम

आशाओं के दीप जलाएँ ।

 

339

मन के अन्दर प्रेम का अमृत

मन के अन्दर विष नफ़रत का

निर्णय तुमको लेना होगा
ग़लत सही अपनी चाहत का ।

 

340

कुछ तो कमियाँ सब के अन्दर

क्या सबको सब कुछ हासिल है?

कब होता इन्सान फ़रिश्ता

हस्ती किसकी कब कामिल है ?


 

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