रविवार, 8 जनवरी 2023

अनुभूतियाँ : क़िस्त 69

 

273

हम सब हैं कठपुतली उसकी

नर्तन को मजबूर हो गए

साथ सफ़र में कितने आए

धीरे-धीरे दूर हो गए ।

 

 

274

सावन फिर आने वाला है

और अभी तक तुम रूठी हो

"हाँ" कह कर फिर ’ना’ कह देती

क्यॊं न कहूँ मैं तुम झूठी हो।

 

275

"मेघदूत" का नहीं जमाना

जो कहना है ’मेसेज’ कर दो,

और कोई इल्जाम अगर हो

वह भी मेरे सर पे धर दो ।

 

276

जब तुमने यह मान लिया है

मैं ही ग़लत था, तुम ही सही थी,

व्यर्थ बहस अब करना उस पर

बात जो मैने नहीं कही थी ।


 

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