273
हम सब हैं कठपुतली उसकी
नर्तन को मजबूर हो गए
साथ सफ़र में कितने आए
धीरे-धीरे दूर हो गए ।
274
सावन फिर आने वाला है
और अभी तक तुम रूठी हो
"हाँ" कह कर फिर ’ना’ कह देती
क्यॊं न कहूँ मैं तुम झूठी हो।
275
"मेघदूत" का नहीं जमाना
जो कहना है ’मेसेज’ कर दो,
और कोई इल्जाम अगर हो
वह भी मेरे सर पे धर दो ।
276
जब तुमने यह मान लिया है
मैं ही ग़लत था, तुम ही सही थी,
व्यर्थ बहस अब करना उस पर
बात जो मैने नहीं कही थी ।
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