क़िस्त 91 /01: [माही उस पार]
1
सावन के महीने में
आग लगी कैसी
कलियों के सीने में
2
भूले से आ जाते
सावन में साजन
झूले पे झुला जाते
3
सावन की फुहारों से
जलता है तन-मन
जैसे अंगारों से
4
रुक ! सुन तो ज़रा बादल !
कैसे है प्रियतम?
यह पूछ रही पायल
5
सावन की हरियाली
मस्त हुआ मौसम
कलियाँ भी मतवाली
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