रविवार, 8 जनवरी 2023

अनुभूतियाँ क़िस्त 63

 

249

इतना भी आसान नहीं है

बरसों का यह साथ भुलाना,

भूल भले ही जाओ तुम, पर

मुझको तो ताउम्र  निभाना ।

 

250

दिल की चिन्ता, कैसी चिन्ता ?

रोना है तो, रो के रहेगा,

टाल सका है कौन यहाँ कब

होना है जो हो के रहेगा ।

 

251

वक़्त गया फिर कब आता है

यादें रह जाती हैं मन में,

कागज की थी नाव कभी, पर

बहुत भरोसा था बचपन में ।

 

252

दुनिया ने हर बार छला है

तुमने छला तो क्या कहते हम

बात नई कोई तो नहीं यह

यही लिखा था, क्या करते हम

 

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