193
ध्यान हमेशा अपना रखना
मैं न रहूँगी जब जीवन में,
साँस साँस बन घुली रहूँगी
साथ तुम्हारे हर चिन्तन में ।
194
कौन रखेगा ध्यान तुम्हारा
खुद से लापरवाह बहुत हो ,
दुनिया भर के ग़म ढोने की
रखते हो तुम चाह बहुत हो ।
195
मन दीवाना भटक रहा है
साध सको तो साध लो इसको,
अपनी वेणी के गजरे से
बाँध सको तो बाँध लो इसको ।
196
कैसी जादूगरी तुम्हारी
गायब भी हो, हाज़िर भी हो,
कैसी है यह अदा तुम्हारी
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