305
चाँद कहीं हो, कहीं चाँदनी
ऐसा भी क्या होना मुमकिन ?
दोनॊ के संबंध अमर हैं
फ़ूल कहाँ होते ख़ुशबू बिन ?
306
जीवन है तो आएँगे ही
आँधी तूफ़ाँ झंझावातें,
कभी अँधेरा भी उतरेगा
कभी चाँदनीवाली रातें ।
307
एक बार जो तुम आ जाओ
ग़म के अँधियारे मिट जाएँ,
गीत प्रेम की नई सुबह में
हम तुम दोनॊं मिल कर गाएँ ।
308
कब तक बीती बातॊं को तुम
बोझ लिए दिल पर ढोऒगी ?
वक़्त अभी है पास तुम्हारे
आगे की तुम कब सोचोगी ?
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