165
कैसे पूछूँ हाल तुम्हारा ?
कह दोगी “तुम से क्या मतलब?’
ख़ार अभी तक खाए बैठी
कौन तुम्हें समझाए, यारब !
166
मौसम आएँगे, जाएँगे
अब की बार न तुम आओगी,
याद तुम्हारी पास रहेगी
दूर कहाँ तक तुम जाओगी ।
167
सितमगरी ऐसी भी क्या जो
पल भर को ना दम भरने दे
उस पर तेरा हुस्न क़यामत
ना जीने दे, ना मरने दे
168
मलय-गन्ध से भींगी भींगी
आएगी जब याद तुम्हारी,
उतने से ही हो जायेगी
हस्ती यह गुलजार हमारी ।
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