शुक्रवार, 6 जनवरी 2023

अनुभूतियाँ : क़िस्त 042

 अनुभूतियाँ 042 ओके
165
कैसे पूछूँ हाल तुम्हारा ?
कह दोगी “तुम से क्या मतलब?’
ख़ार अभी तक खाए बैठी
कौन उन्हें समझाए, यारब !
166
मौसम आएँगे, जाएँगे
अब की बार न तुम आओगी,
याद तुम्हारी पास रहेगी
दूर कहाँ तक तुम जाओगी ।
 
167
सितमगरी ऐसी भी क्या जो
पल भर को ना दम भरने दे
उस पर तेरा हुस्न क़यामत
ना जीने दे, ना मरने दे
 
168
मलय-गन्ध से भींगी भींगी
आएगी जब याद तुम्हारी,
उतने से ही हो जायेगी
हस्ती यह गुलजार हमारी ।
 

कोई टिप्पणी नहीं: