अनुभूतियाँ : क़िस्त 066 ओके
261
नकली चेहरे वाले करते
सत्ता सुविधा का संचालन,
नकली सिक्के कर देते हैं
असली सिक्कों का निष्कासन।
262
अहम भरा नस नस में उनके
हरदम सबकॊ छोटा समझें ,
अपना सिक्का असली सिक्का
औरों का वो खोटा समझें ।
263
हर मौज़ू पर इल्म बाँटते
अपने को वो बरतर आँके ,
बात अमल की जब आती है
इधर उधर वो बगले झाँके ।
264
कुएँ का मेढक क्या जाने
उसकी तो बस उतनी दुनिया
उछल रहा है ऐसे मानों
नाप के आया कोई दरिया।
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