293
मन होता है भोला भाला
भोली सूरत में फँस जाता
अपना बन कर आता कोई
और अचानक है डँस जाता ।
294
सफ़र नहीं कोई
नामुमकिन
हिम्मत क़ायम जब तक दिल में,
अगर कभी लगता हो तुमको
याद करो रब को मुश्किल में ।
295
बादल की है चाल फ़रेबी
उमड़ा इधर, उधर जा बरसा,
राह देखती प्यासी आँखें
और भीगने को मन तरसा ।
296
आँखें सब कुछ कह देती हैं
चाहत अपनी लाख छुपाओ,
बिना दिखाए दिख जाता है
दर्द दिखाओ या न दिखाओ [
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