सोमवार, 9 जनवरी 2023

अनुभूतियाँ : क़िस्त74

 

293

मन होता है भोला भाला

भोली सूरत में फँस जाता

अपना बन कर आता कोई

और अचानक है डँस जाता ।

 

294

 सफ़र नहीं कोई नामुमकिन

हिम्मत क़ायम जब तक दिल में,

अगर कभी लगता हो तुमको

याद करो रब को मुश्किल में ।

 

295

बादल की है चाल फ़रेबी

उमड़ा इधर, उधर जा बरसा,

राह देखती प्यासी आँखें

और भीगने को मन तरसा ।

 

296

आँखें सब कुछ कह देती हैं

चाहत अपनी लाख छुपाओ,

बिना दिखाए दिख जाता है

दर्द दिखाओ या न दिखाओ [


 

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