शनिवार, 14 जनवरी 2023

अनुभूतियाँ : क़िस्त 113

 

449

भली रही या बुरी रही थी ,

एक लगन की एक अगन थी,

तेरे घर की राहें दुष्कर,

लेकिन चाहत आजीवन थी ।

 

 

450

दुनिया चाहे जो भी समझे,

’अनुभूति’ के रंग हमारे,

वक़्त कसौटी पर जाँचेगा,

रंग निखर आएँगे  सारे ।

 

451

जब हमने ख़ुद राह चुनी है,

राह-ए-मुहब्बत, राह फ़ना की

दोष किसी को फिर देना क्या

किसने छोड़ी राह वफ़ा  की ।

 

452

सच का साथ न छोड़ा मैने,

द्वन्द  रहा आजीवन मन में.

साँस साँस बन हर पल उतरी,

’अनुभूति’ मेरे जीवन में ।

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