बुधवार, 11 जनवरी 2023

अनुभूतियाँ : क़िस्त82

 

325

साथ निभाया नहीं अगर तो

साथ नहीं भी छोड़ा तुम ने,

जुड़ न सकी तुम हमसे तो क्या

कभी नहीं दिल तोड़ा हमने ।

 

326

 ज्ञानी-ध्यानी क्या समझेंगे

"ढाई-आखर" की ताकत को,

ऊधौ जी ने ही कब समझा
राधा की पावन चाहत को।

 

327

चन्दन-वन की ख़ुशबूवाली

छू कर हवा गुज़र जाती है,

याद तुम्हारी बीते दिन की

तन में सिहरन भर जाती है।

328

चातक प्यासा ,बादल प्यासा

और मछलियाँ जल में प्यासी

प्यासी नदिया, प्यासी धरती

क्या शाश्वत है प्यास हमारी ?


 

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