189
जन्म यही तो नहीं आख़िरी
बाद मिलेंगे और जनम भी
सात जनम तक साथ रहेगा
अमर प्रेम का यही नियम भी ।
190
अवचेतन मन में संचित है
भूली बिसरी याद पुरानी,
तनहाई में मुझे सुनाती
बची हुई अनकही-कहानी ।
191
हानि-लाभ कुछ सोच समझ कर
ही तुम ने मुँह मोड़ लिया है ,
और कहूँ क्या इस से ज़्यादा
भला किया दिल तोड़ दिया है।
192
आशाओं की किरणें डूबी
और अँधेरा छाने वाला ,
छोड़ गया जो घर को अपने
लौट भला कब आने वाला ।
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