209
दुनिया भर का बोझ उठाए
बेमतलब फिरती रहती हो ।
अपना ही ग़म क्या कम है जो
औरो का ग़म ख़ुद सहती हो ।
210
बेमतलब क्या सोच रही हो
कौन यहाँ किसका होता है ?
जीवन लम्बा एक सफ़र है
तनहा ही चलना होता
है ।
211
पलक-पाँवड़े स्वागत वाले
एक नहीं दस-बीस मिलेंगे .
गली गली हर मोड़ मोड़ पर
तुम्हें झुकाते शीश मिलेंगे ।
212
मेरे जैसा इक्का-दुक्का
तुम्हें कहाँ हमदर्द मिलेगा,
शायद कोई मिल भी
जाए
लेकिन रिश्ता सर्द मिलेगा ।
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