रविवार, 29 जनवरी 2023

अनुभूतियाँ 124/11

 क़िस्त 124/क़िस्त 11

 

 493

आग लगाने वाली बातें

बार बार दुहराती क्यों हो

ला हासिल था तब भी,अब भी 

माजी में फिर जाती क्यों  हो 

 

494

मिलना जुड़ना और बिछ्ड़ना

यह जीवन का क्रम है सुमुखी !

सदा बहारों का मौसम हो-

एक कल्पना है भ्रम है सुमुखी !

 

495

मंज़िल मिलना या ना मिलना

यह तुम पर निर्भर करता है

राह कहाँ इसमे दोषी है-

जो जैसा करता, भरता है

 

496

बार बार यह कहते रहना

नहीं ज़रूरत तुम्हे किसी की

जिसको तुम ने ठुकराया हो

कहीं ज़रूरत पड़े उसी की


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