301
एक तमन्ना थी बस दिल में
साथ साथ जो चलते हम तुम,
सफ़र हमारा भी कट जाता
और न तुम भी रहती गुमसुम ।
302
बात भले हो छोटी, लेकिन
चुभ जाती जब दिल के अन्दर,
टीस हमेशा उठती रहती
अवचेतन मन में जीवन भर ।
303
मीठी मीठी यादों वाली
उन गलियों में अब क्या जाना,
छोड़ के जब हम आ ही गए तो
सपनों से क्या दिल बहलाना ।
304
सावन आया, बादल आए
कोई ख़बर न तेरी आई,
गुज़र रही होगी क्या तुझ पर
दुनिया को भी बता न पाई ।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें