सोमवार, 9 जनवरी 2023

अनुभूतियाँ : क़िस्त76

 

301

एक तमन्ना थी बस दिल में

साथ साथ जो चलते हम तुम,

सफ़र हमारा भी कट जाता

और न तुम भी रहती गुमसुम ।

 

302

बात भले हो छोटी, लेकिन

चुभ जाती जब दिल के अन्दर,

टीस हमेशा उठती रहती

अवचेतन मन में जीवन भर ।

 

303

मीठी मीठी यादों वाली

उन गलियों में अब क्या जाना,

छोड़ के जब हम आ ही गए तो

सपनों से क्या दिल बहलाना ।

 

304

सावन आया, बादल आए

कोई ख़बर न तेरी आई,

गुज़र रही होगी क्या तुझ पर

दुनिया को भी बता न पाई ।


 

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